
गांवों में स्थापित गौठान पशुधन संरक्षण, संवर्धन, वर्मी कम्पोस्ट एवं कीटनाशक दवाईयों, गोबर पेंट आदि के निर्माण के साथ सब्जी उत्पादन जैसे अनेक आजीविकामूलक गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वरोजगार प्रदान करने का कारगर माध्यम बन गए हैं। इसी कड़ी में बालोद जिले के गुरूर विकासखण्ड के जेवरतला, भानपुरी एवं डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के खपराभाट एवं नंगूटोला गौठानों में स्वसहायता समूह की महिलाएं मछली पालन कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहीं है।
गुरूर विकासखंड के ग्राम जेवरतला गौठान के डबरी के 0.162 हेक्टेयर(40 डिसमिल) में जलक्षेत्र में जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह के 13 महिलाओं के द्वारा मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। इन महिलाओं के द्वारा अब तक गौठान की डबरी से कुल 472 किलोग्राम मछली को प्रति किलो 150 रुपये की दर से कुल 70 हजार 800 रुपये में बिक्री की गई है। जिससे इन महिलाओं को 52 हजार 330 रुपये की शुद्ध आमदनी हुई है। इसी तरह से मछली पालन के व्यवसाय में लगी मां दुर्गा स्वसहायता समूह की महिलाओं को 4025 रुपये की आमदनी हुई है। डौडीलोहारा विकासखंड के ग्राम खपराभाट गौठान में निर्मित डबरी में जय शीतला स्वसहायता समूह की 12 महिलाओं द्वारा मछली पालन किया जा रहा है। इन महिलाओं के द्वारा अब तक कुल 375 किलोग्राम मछली को 150 रुपये प्रति किलो की दर से कुल 56 हजार 250 रुपये में बिक्री किया है। जिससे उन्हें 39 हजार 900 रुपये की आमदनी हुई है। इसी तरह जय शीतला स्वसहायता समूह की महिलाओं को 3325 रुपये की शुद्ध आमदनी प्राप्त हुई है।
डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम नंगुटोला गौठान में निर्मित डबरी में मछली पालन कर गंगा मैय्या स्वसहायता समूह की महिलाओं ने कुल 55 हजार 800 रुपये में बिक्री की है। जिससे उन्हें 40 हजार 290 रुपये की आमदनी हुई है। गुरूर विकासखण्ड के जय मां दुर्गा स्वसहायता समूह ग्राम जेवरतला के सक्रिय सदस्य फूलेश्वरी बाई ने मछली पालन से समूह की महिलाओं के जीवन में आए बदलाव की जानकारी देते हुए बताया कि मछली पालन का कार्य गांव की महिलाओं के लिए स्वरोजगार का प्रमुख माध्यम बन गया है। गौठान में मछली पालन व्यवसाय शुरू होने से उनके लिए स्वरोजगार का फायदेमंद जरिया मिल गया है। इससे समूह के सदस्यों की आमदनी में पर्याप्त वृद्धि हुई है। अब वे अपने परिवार के साथ सुखमय जीवन व्यतीत कर रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। इस तरह बालोद जिले के गौठान समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव के माध्यम बन गए हैं।