इसरो ने चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में व्यापक बदलाव किए हैं। चंद्रयान-2 के उतरने के लिए जितना क्षेत्र निर्धारित किया गया था, अब उसमें काफी बढ़ोतरी की गई है। लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तय किया गया है। अगर लैंडिंग के लिए एक जगह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह भी तैयार रहेगी। वैसे भी चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऐसी जगह उतर रहा है, जो सबसे ज्यादा चैलेंजिंग है। यहां खाइयां, पत्थर और उबड़ खाबड़ जगह हैं। दूसरे देशों के अंतरिक्ष यान इक्वेडर यानी चंद्रमा के बीचोंबीच विषुवत रेखा पर उतरे हैं, लेकिन हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने जा रहा है, जिसे पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। जहां हमेशा अंधेरा बना रहता है। यह जगह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर है, जहां इसरो के अनुसार तापमान शून्य से भी 220 डिग्री नीचे रहता है।

यान उतरेगा या नहीं, अंतिम निर्णय दो घंटे पहले लिया जाएगा: इसरो

इस बीच इसरो ने कहा कि पहले विक्रम लैंडर के लिए अनुकूल स्थितियों को पहचाना जाएगा। लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक दो घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम निर्णय होगा। इसरो के वैज्ञानिक नीलेश एम देसाई के मुताबिक, अगर चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है।